क्या मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ माहौल बन रहा है?
मध्य प्रदेश की सरकार में भी बड़े बदलाव की मांग उठ गई है। एमपी के मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर कहा है,अगले वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव होना है, सत्ता विरोधी लहर को रोकने के लिए सरकार में परिवर्तन किए जाएं। विधायक त्रिपाठी की यह चिट्ठी मीडिया में लीक हो गई है। यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ माहौल बन रहा है? अगर इसका जवाब हां है तो बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व मध्य प्रदेश में भी उत्तराखंड और गुजरात का प्रयोग दुहराए, इसकी कितनी संभावना है?

दिल्ली: चुनाव होने को है उससे पहले बीजेपी हिट-एंड-रन के फॉर्मूले को अपना रहे हैं, अभी हाल ही में हुए चुनाव को देखते हुए इसी फॉर्मेले को अपना का मन बना चुकी है, क्यू की इस रननीति का हिमाचल में नहीं प्रयोग करने का परिणाम भुगत चुकी,बीजेपी के हाथ से हिमाचल की गद्दी चली गई वही बात करे जहां कि भी राजनीति में छोटे मोटे बदलाव किए हैं वहा कि राजनीति में बीजेपी ने धमाकेदार वापसी की है
बड़ी बात है कि हिमाचल प्रदेश में यही फॉर्म्युला नहीं अपनाया गया और परिणाम निराशाजनक आए। इसलिए,
दरअसल, संभावनाओं में किसी बात पर दावेदारी नहीं की जा सकती है। संभावना को सिरे से खारिज किया जा सकता है , ना ताल ठोंककर यह भी कहा जा सकता है, कि यह होकर ही रहेगा। हां, परिस्थितियों के आधार पर हां /ना के बीच पलड़ा किस तरफ है, इसका अंदाजा जरूर लगाया जा सकता है। तो सवाल है कि मध्य प्रदेश की परिस्थितियां कैसी हैं? आइए बिंदुवार जानते हैं…
शिवराज की मुश्किलों की चर्चा:-
➤ शिवराज चौथी बार सीएम हैं।पार्टी के एक खेमा चाहता है , बदलाव हो। हालांकि बड़े नेता कहते रहे हैं ,शिवराज अच्छा काम कर रहे हैं। ग्वालियर में अमित शाह ने कहा था कि आप मोदी जी पर भरोसा कीजिए और हमें वोट दीजिए। सवाल उठ रहे थे कि एमपी में काम कर रहे शिवराज तो वोट मोदी के नाम पर क्यों?
➤ सीएम पद की रेस में ज्योतिरादित्य सिंधिया की चर्चा सबसे ज्यादा होती है। कुछ पुराने नेता उनके करीब जा रहे हैं। इसमें कैलाश विजयवर्गीय से लेकर उमा भारती तक का नाम है।
➤ बीजेपी के सामने मुश्किल है सिंधिया समर्थकों और पुराने नेताओं को एडजस्ट करने की। सिंधिया के बाद ग्वालियर-चंबल में उन्हीं की चलती है। ऐसे में पुराने नेताओं का क्या होगा, इस पर संशय है।
➤ कैबिनेट विस्तार में क्षेत्रीय / जातीय संतुलन का अभाव है। शिवराज कैबिनेट में बदलाव हो सकता है। इसमें कुछ की छुट्टी हो सकती है। साथ ही अगले विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय संतुलन ख्याल रखा जाएगा।

चुनौतियों के समाधान के लिए क्या-क्या कर रही शिवराज सरकार, जानें
➤ सरकार धर्म नीति हिंदुत्व की राह पर आगे बढ़ रही है। धर्म नीति के लिए महाकाल लोक का निर्माण करवाया। ओंकारेश्वर में आदि शंकराचार्य की बड़ी प्रतिमा का निर्माण करवाया रहा है। इसके साथ ही ओरछा राजा राम दरबार संवारा जा रहा है।
➤ हिंदुत्व के लिए लव जिहाद के खिलाफ कानून लेकर आई। धर्मांतरण लेकर सरकार सख्ती दिखा रही है। ईसाइयों धर्मगुरु पूर्व बिशप पीसी सिंह कार्रवाई की गई है। खरगोन के आरोपियों के घर तोड़े गए।
➤ शिवराज सरकार आदिवासियों को पाले में रखने के लिए मशक्कत कर रही है। एमपी 47 सीटें आदिवासियों के रिजर्व हैं। 84 सीटों इनका असर है। आदिवासी जिस ओर जाता है, सरकार बन जाती है। चौथी बार सत्ता में आने के बाद आदिवासी क्षेत्रों घटनाएं घटी। आदिवासियों ने शिवराज सरकार को गच्चा दे दिया और सत्ता से बीजेपी बेदखल हो गई । सरकार ने सबक लिया है। बिरसा मुंडा जयंती पर सरकार जनजातीय गौरव दिवस मनाने निर्णय लिया। नरेंद्र मोदी खुद इसमें आए थे। रानी कमलापति रेलवे स्टेशन का गोंड रानी के नाम पर किया, पेसा एक्ट लागू किया गया है और पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम भी आदिवासी टाट्या भील के नाम किया गया।
विधायक कि चिट्ठी में क्या-क्या राज?…
मध्यप्रदेश विधायक त्रिपाठी ने 11 दिसंबर को नड्डा को पत्र में लिखा , ‘गुजरात में शानदार और ऐतिहासिक विजय के लिए शुभकामनाएं प्रेषित करते हुए विनम्र निवेदन है,मध्यप्रदेश में हमारे जैसा छोटा कार्यकर्ता चाहता है, राज्य में दोबारा गुजरात तर्ज पर सरकार बने।’ इसमें कहा गया है, ‘ कार्यकर्ताओं की मंशा के अनुरूप यहां सत्ता एवं संगठन में पूरी तरह बदलाव हो, ताकि प्रदेश में नए युग की शुरुआत हो।’ , ‘पुन: निवेदन है कि मध्यप्रदेश संगठन में पूरी तरह बदलाव के मेरे जैसे तमाम कार्यकर्ताओं के विचार करने की कृपा करेंगे ताकि यहां भाजपा की सरकार बन सके और विकास एवं जनकल्याण जारी रह सके।’